गौ,गोबर और गौमूत्र की राजनीति में मध्यप्रदेश
दिसम्बर 2018,कमलनाथ मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री बने । रोजगार के मुद्दे पर पायी ताजपोशी पर सबसे बड़ा कार्य रोजगार के अवसर प्रदान करना ही था । साथ ही साथ अतिथि शिक्षक ,अतिथि विद्वान नियमितीकरण जैसे भी मुद्दे थे । परन्तु कहा जाता है कि बालक के व्यवहार पर आनुवांशिकता और वातावरण का गहरा प्रभाव रहता है तो फ़िर क्या था मध्यप्रदेश में ढोर चराने , बाजा बजाने जैसे रोजगार मुहैया कराने की बात सरकार द्वारा होने लगी।
मार्च 2020 में तमाम सियासी उठापटक,आरोप-प्रत्यारोप के बीच कमलनाथ सरकार गिर गयी और सिंधिया प्रधान शिवराज शासन मध्यप्रदेश को पुनः मिल गया । प्रदेश में उपचुनाव भी हुए भाजपा को भरपूर समर्थन मिला,और मध्यप्रदेश में मामा के एक नए जोश के साथ आते ही 22 नवम्बर को गौधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौ-केबिनेट के गठन का फ़ैसला कर गए ।
एक ओर सड़कें,बाजार अवारा पशु से भरे पड़े हैं वहीं दूसरी ओर गौ-केबिनेट।
फ़िर ढोर चराने, बाजा बजाने जैसे रोजगार पर प्रश्न चिन्ह लागाना कहां तक सही है?
कुल मिलाकर प्रदेश में किसी की भी सरकार रहे आगामी समय में गौ,गोबर और गौमूत्र से सम्बन्धित और घोषणाएँ जरूर हो सकती हैं।
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